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ठाकरे न हुए वबाले-जान हो गए!

Tarkash
Tarkash
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सोशल साइट् पर एक जंग-सी छिड़ गयी है! एक तरफ़ हिन्दूवादी होने की छाप लगाए लोग ठाकरे के सच्चा हिन्दूवादी होने का चिट्ठा पेश करते नहीं थक रहे। वहीं कुछ मुस्लिम लोग सच्चे मज़हबी होने की तसदीक ठाकरे के खि़लाफ़ आग उगलकर कर रहे हैं। कुछ देर को तो भ्रम ही हो जाए कि इस तरह के लोग ही सच्चे हिन्दू या मुस्लिम हैं। टाइम पास करने को यह कुछ बुरा भी नहीं इनके लिए। पर ऐसे लोगों की बेज…
़रूरत बातें किसी चिंतक के लिए सिरदर्द से ज़्यादा कुछ नहीं। इसलिए ऐसे लोगों की ग़ैरज़रूरी बातों पर कमेंट करने वाले भी उतने ही फालतू और उतने ही निकम्मे हैं। असलियत का पता नहीं, गहराई का अंदाज़ा नहीं बस बालबुझक्कड़ की तरह ऊटपटांग अलापने से मतलब है, यह लालबुझक्कड़ वही हैं जो अपने गाँव में इस तरह थे जैसे अन्धों में काने राजा! लालबुझक्कड़ के गाँव से एक बार रात में हाथी की गुज़र हुई। सुबह होने पर गाँव के लोग इतने बड़े निशान देखकर हैरान! फौरन लालबुझक्कड़ को बुलाया गया, उन्होने कयास लगाया और कह डाला-
जाने-जाने लालबुझक्कड़ और न जाने कोय,
पाँव में चक्की बाँध के हिरन छंलांगा होय।।
अब यह आजकल के लालबुझक्कड़ हैं जो अपनी बेसिर-पैर की राय पेश करने से बाज़ नहीं आ रहे!

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