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किसी भी बलात्कार या अश्लीलता के लिए अगर फिल्में और कपड़े फाड़ फैशन पूरी तरह जि़म्मेदार नहीं हैं तो कम जि़म्मेदार भी नहीं ठहराया जा सकता। यही वजह है कि महज़ दो पोर्न साइट्स को देखने का आंकड़ा दुनिया की जनसंख्या का पन्द्रह गुना ज़्यादा है यानि लोगों ने यह साइट्स 93 अरब बार देखीं हैं। हालिया सर्वे में सर्च इंजन पर सबसे ज़्यादा सर्च किए जाने वालों में पोर्न स्टार सनी लियोन, पूनम पाण्डे शामिल हैं। वहीं पोर्न साइट्स और इसमें भी सबसे ज़्यादा चाइल्ड पोर्न साइट्स का कारोबार आसमान छू रहा है। दर्शकों को लुभाने को उकसाऊ पोस्टर, अश्लील गाने, छिछोरे पहनावे फिल्मों तक दर्शकों को खींच कर लाने का ज़रिया बन चुके हैं। इसके बाद भी क्या लगता है कि अश्लीलता परोसती फिल्में और पोेर्न साइट्स पर भड़काऊ पहनावा उकसाने का काम नहीं करता। जहाँ तक सवाल बच्चों के साथ सेक्स का है तो इसके लिए भी यही सब और इनसे उकसायी गयी सोच जि़म्मेदार है। यही वजह है कि निठारी कांड जैसे वाक्ये सामने आते हैं। बच्चे इसलिए भी शिकार आसानी से बन रहे हैं कि वह मुहैया आसानी से हो जाते हैं। परदे पर उकसाने वाले तो सुरक्षा में रह कर खुद कोे महफू़ज़ कर लेते हैं और शिकार बच्चियां और आम लड़कियां बनती हैं।
बिहार जैसे बड़े अशिक्षित राज्य में सबसे ज़्यादा पोर्न साइट्स देखने वाले हों या आईआईटी रूड़की जैसे तालीम के वह इदारे जो लिपिस्टिक प्रतियोगिता आयोजित करके तहज़ीब को चोट पहुँचाते हैं, जब तक तहज़ीब को अपनाएंगे नहीं अपराध थमेगा नहीं, यूँ शासन-प्रशासन को पूरा दोष देकर कितना ही इस अपराध के लिए जि़म्मेदार ठहराते रहो।
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